Poem aazma kar dekh lena
Poem aazma kar dekh lena

मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना

( Mujhko kabhi bhi aazma kar dekh lena )

 

 

मुझको कभी भी आज़मा कर देख लेना।
हो सके मुझसे दिल लगा कर देख लेना।।

 

एक पल भी मुझसे दूर नहीं रह पाओगे।
कितना भी फासला बना कर देख लेना।।

 

चाहे लाख नज़रें भी चुराओ मुझसे तुम।
हो सके मुझसे दिल चुरा कर देख लेना।।

 

होश में ता उम्र नही तुम आ पाओगे।
जाम नज़रों से पिला कर देख लेना।।

 

अपने ही दिल मे तुम हमेशा पाओगे।
अपनी नज़रों को झुका कर देख लेना।।

 

फिर न तुम कोई चेहरा देख पाओगे।
आईने से मुझे मिटा कर देख लेना।।

 

इतना आसां नहीं मुझको अब चुराना।
मुझ से मुझको ही चुरा कर देख लेना।।

 

बुझेगी न कभी प्यास इस जिंदगी की।
चाहे कितना भी बुझा कर देख लेना।।

 

 

रचनाकार : आर के रस्तोगी

 गुरुग्राम ( हरियाणा )

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