दिल की आवाज | Poem dil ki awaz
दिल की आवाज
( Dil ki awaz )
मेरा दिल मुझे ही बार-बार आवाज दे
खुद को तुम खुद के ही उमंग से नवाज ले।
कल के कई है आईनें,
आज का रख तु मायने।
डर से भरी ज़िन्दगी
निडर बन के तु निकल
तेरे जैसे बदन बहुत ।
लेकिन अलग अंदाज दे
खुद को तुम खुद ही के उमंग से नवाज ले।
अब तुझे कोई न रोक पाएगा,
ज़िन्दगी के दौड में ख़ुशी के गीत गाएगा।
कहता है सब कोई , सिर्फ अपना बात सुन
नया साल आ गया बना लें तु नया जुनून।
बना तु ऐसा दास्तां खुद, खुद ही नाज दे,
खुद को तुम खुद ही के उमंग से नवाज ले।
सिकवा, सरारते, गलतियां अब नहीं ,
कर ले जरा सा एक साथ सब नहीं ।
खुद के सिकायतें खुद ही से माज दे
खुद को तुम खुद ही के उमंग से नवाज ले।
कवि : आलोक रंजन
कैमूर (बिहार)
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