Pushkar mela par kavita
Pushkar mela par kavita

अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला

( Antarrashtriya pushkar mela )

 

 

अन्तर्राष्ट्रीय पुष्कर मेलें का अब हो गया है आगाज़,

जिसके पीछे है कई पौराणिक कहानियां एवं राज।

हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को आता,

बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते इसमें सामुदायिक समाज।।

 

अक्टूबर-नवंबर महिनें में यहां ‌लगता है भव्य मेला,

पहाड़ियों के बीचों-बीच बसा है जो अजमेर जिला।

इस मेले को पुष्कर ऊंट मेले से भी पहचाना जाता,

जिसे देखने आतें देश विदेशों से पुरुष एवं महिला।।

 

इस मेले का इतिहास देखें तो ये सौ साल से पुराना,

विशाल मैदान में होता लोकसंस्कृति गाना बजाना।

हाथी घोड़े ऊंट गाय बैल करते खरीदना एवं बेचना,

लगा रहता यहां पर्यटकों का सदैव ही आना जाना।।

 

इस-रोज़ पुष्कर झील में जो व्यक्ति डूबकी लगाता,

सौ-तपस्या के बराबर उन सबको आशीष मिलता।

जन्म-जन्म के सारे पाप यह पवित्र डूबकी धो देता,

हिंदुओं का पवित्र तीर्थस्थल-पुष्करराज कहलाता।।

 

सुख-शांति मोक्ष की यहां पर होती सभी को प्राप्ति,

उगता सूर्य प्रमाण है जिसको सारी दुनिया जानती।

५२ घाटों के साथ है ये अर्धवृताकार झील यहा की,

मिलती है इस पावन धरती पर आध्यात्मिक शांति।।

 

 

रचनाकार :गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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