काली जुल्फे | Poem Kali Julfe
काली जुल्फे
( Kali julfe )
काली जुल्फे काली लटाएं
उमड़ आ रही हो घटाएं
काले केश मेघ से छाये
बादलों में चांद छुप जाए
गोरा बदन गाल गुलाबी
काली जुल्फे लगे शराबी
मदहोशी देख छा जाए
गौर वर्ण जादू कर जाए
नैना ज्यो लगे तीर कटार
जुल्फें करे फिर भी वार
दीवाने डूब रहे मंझधार
घटाएं बरस रही रसधार
कारे कजरारे केश दमके
काली घटाएं बलखाती
इन जुल्फों के आगोश में
खुशियों की बारिश आती
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )