गोरैया | Poem on sparrow in Hindi
गोरैया
( Goraya )
चहचहाती गोरैया फुदकती सबके मन को हर्षाती
रंग बिरंगी डाल डाल पे जब पंख पसारे उड़ जाती
नील गगन में उड़ाने भर छत पर आकर बैठती
सुंदर सी मनभावन लगती मीठी-मीठी चहकती
रौनक आ जाती घर में सब गौरैया को डाले दाना
फूरर फूरर उड़ना फिर आकर घर पर बैठ जाना
सारे बालक खुश हो जाते देखकर गोरैया मुस्काते
अठखेलियां मन को भाती झूम झूमकर सब गाते
जाने क्या परिवेश हो गया गौरैया लुप्त हो रही
उमंगे हर्ष खुशियां आज जाने कहां सुप्त हो रही
वृक्ष लताओं लदे वन ज्यों ज्यों कम होते जा रहे
चिड़िया का चहकना हम अब नहीं सुन पा रहे
मधुर मधुर गौरैया की घट में बस यादें बसा रहे
मन का पंछी ले रहा हिलोरे गीत यूं गुनगुना रहे
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )