गुमनाम प्रतिभा | Pratibha Sinha
कहते हैं किसी भी इंसान के जीवन में एक वक्त ऐसा जरूर आता है जब उसे महत्वपूर्ण निर्णय लेना होता है। यह निर्णय उसकी जिंदगी बदल देता है।
यदि सही निर्णय लिया तो लाइफ बन जाती है वहीं गलत निर्णय आपको पीछे धकेल देता है। यह वैसा ही है जैसे कहीं जाते समय किसी चौराहे पर आ खड़े हों, यदि भूलवश गलत रास्ता चुन लिया तो मंजिल दूर छिटक जाएगी।
बाद में सही रास्ते पे भले ही आ जाएं लेकिन समय की भरपाई न हो सकेगी और बात जब ऊंचे उद्देश्यों की हो तब समय बहुत मायने रखता है।
एक झटका भी आपको अर्श से फर्श पे ला देता है। बॉलीवुड भी इससे अछूता नही है जहां समय के फेर ने और एक गलत निर्णय ने न जाने कितनी”प्रतिभाओं”को गुमनामी के अंधेरे में जीने को मजबूर कर दिया। इसमें एक नाम प्रतिभा सिन्हा का भी है।
कोलकाता में जन्मी यह खूबसूरत अभिनेत्री गुजरे जमाने की मशहूर अदाकारा माला सिन्हा की पुत्री है। राजा हिंदुस्तानी का “परदेशी-2 जाना नहीं” याद होगा जिसमें ढाबे में आमिर खान के आसपास एक लड़की नृत्य करती है।उसी भोले चेहरे की बात कर रहा हूँ।
इस खूबसूरत अभिनेत्री का फिल्मी करियर ज्यादा नही चल सका। मुझे हैरानी हुई कि नृत्य कौशल में पारंगत और फूल से चेहरे वाली यह अदाकारा दर्शकों द्वारा क्यों नकार दी गयी।
जवाब तलाशने की कोशिश की तो पता चला कि दर्शकों की कोई गलती नही है। दरअसल यह अभिनेत्री अपना फिल्मी करियर ज्यादा लम्बा खींच ही नहीं सकी।
जब 90 के दशक की समकालीन अभिनेत्रियां बॉलीवुडिया गलाकाट प्रतिस्पर्धा में खुद को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही थीं तब यह अभिनेत्री किसी के प्रेम में पड़ी थी।
90’s की सुपरहिट संगीतकार जोड़ी “नदीम-श्रवण” में से नदीम सैफी इस अभिनेत्री को इतना भा गए कि इसने सब कुछ दांव पर लगा दिया-करियर भी।
यदि प्रतिभा उस वक्त प्रेम प्रसंग में न पड़ी होतीं तो कौन जानता है कि आज उनकी गिनती 90’s की सफल अभिनेत्रियों में हो रही होती।
नदीम की दीवानगी इस अभिनेत्री के सर पर इस कदर चढ़ी कि इसने नदीम से शादी करने का फैसला कर लिया ये जानते हुए भी कि नदीम पहले से ही शादी-शुदा हैं।
ये नदीम सैफी वही हैं जिन पर कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या करने/करवाने के आरोप लगे थे।माला सिन्हा शुरू से ही इस रिश्ते के खिलाफ थीं और इसका विरोध कर रहीं थीं, लेकिन प्रेम में पड़ा इंसान किसी की बात मानता ही कब है।
प्रतिभा प्रेम में पड़ी उस पतंगे की भांति थीं जो ये जानते हुए भी कि खाक हो जाएगा,आग के आसपास मंडराता रहता है।
नदीम सैफी उस वक्त कामयाबी के शिखर पर थे।श्रवण राठौर के साथ उनकी जोड़ी”नदीम-श्रवण”यादगार संगीत दे रही थी।
यदि आज लोग 90’s के दौर को बॉलीवुड संगीत का सर्वश्रेष्ठ दौर मानते हैं तो इसमें बड़ा योगदान नदीम-श्रवण का है।
ठीक उसी वक्त प्रतिभा और नदीम का इश्क परवान चढ़ा।जैसा कि फिल्मी दुनिया मे होता है, एक वक्त के बाद रिश्ता कमजोर पड़ गया।
नदीम यह कहते हुए अलग हो गए कि प्रतिभा में “प्रतिभा” बहुत है और वह उसे आगे बढ़ाना चाहते थे इसलिए साथ काम करते हुए करीब आये।
जैसा कि हर रिश्ते के टूटने पर होता है बाद में आरोप भी उन्होंने लगाए कि मां-बेटी उनको ब्लैकमेल कर फंसा रही हैं।
खैर, गुमनामी के अंधकार में खोने से पहले प्रतिभा सिन्हा के हिस्से कुल जमा 10-12 फिल्में आईं जिनमे से हिट शायद ही कोई रही होंगी। निश्चित ही यह अभिनेत्री आगे जा सकती थी यदि सही समय पर इसने सही फैसले लिए होते।
कुछ “प्रतिभाएं”ऐसी ही होती हैं।
खैर,जब भी प्रतिभा सिन्हा का नाम आएगा उनके हिस्से के कुछ चर्चित गीत फिर वह चाहे “क्या तुम्हे पता है ऐ गुलशन…” हो या “तुम्हारी नजरों में हमने देखा…” या फिर ब्लॉकबस्टर “परदेशी-परदेशी” में इस भोली अदाकारा का चेहरा बरबस ही आंखों के सामने आ जायेगा।