साथ तुम आ जाओ | Geet
साथ तुम आ जाओ
( Sath tum aa jao )
आ जाओ, आ जाओ, आ जाओ मेरे यार, साथ तुम आ जाओ।
मातृभूमि का वंदन करते, सीमा पर सेनानी लड़ते।
रणभूमि में उतर जरा तुम, दो-दो हाथ दिखा जाओ।
आ जाओ आ जाओ……
जो पत्थर के बने हुए हैं, कुछ वर्षों से तने हुए हैं।
होठों पर मुस्कान हंसी हो, उर चेतना जगा जाओ।
आ जाओ आ जाओ…..
खिलते फूल चमन में सारे, कहते चांद गगन और तारे।
मुस्कानों के मोती चुनकर, प्यार जग में लूटा जाओ।
आ जाओ आ जाओ……
राम कृष्ण का देश हमारा, सुंदर यह परिवेश हमारा।
विश्व गुरु सोने की चिड़िया, फिर इसे बना जाओ।
आ जाओ आ जाओ….
सद्भावों के फूल खिलाना, राही पथ में मत रुक जाना।
लेखनी की मशाल हाथ ले, रोशनी पथ करते जाओ।
आ जाओ आ जाओ…..
घट घट पावन गंगा बहती, भारत मां बेटों से कहती।
आन बान और शान तिरंगा, शान सदा बढ़ाते जाओ।
आ जाओ आ जाओ….
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )