veero ko shradhanjali-पुलवामा के वीरों को श्रद्धांजलि
पुलवामा के वीरों को श्रद्धांजलि
( Pulwama Ke Veero Ko Shradhanjali )
( Pulwama Ke Veero Ko Shradhanjali )
देखो हवाओं में जहर घोला जा रहा ( Dekho hawaon mein zehar ghol ja raha ) देखो हवाओं में जहर घोला जा रहा ….. जंगलों को जड़ो से है काटा जा रहा ….. देखो यहां ऑक्सीजन है नहीं फिर भी…. शहरों में आलीशां महल बनाया जा रहा । लगा कर पेड़ हम जमीं…
औरत ( Aurat ) ( 2 ) औरत फूलों की तरह….नाज़ुक सी होती है, मगर…काँटों को भी पलकों से वो चुनती है, उसके चरित्र की धज्जियां दुनिया उड़ाती है, फिर भी.मोहब्बतों से इसको वो सजाती है, रखी है जिसके पैरों के नीचे ख़ुदा ने जन्नत, उठाके चरित्र पे उँगली भेजते उसपे लानत, चलते हैं उसके…
शहरों की ओर ( Shahro ki or ) छोड़ दिया घर बार गांव चल पड़े शहर की ओर चकाचौंध के पीछे दौड़े भूल गए सुहानी भोर भागदौड़ भरी जिंदगी फुर्सत का कोई नाम नहीं शहरों का जीवन ऐसा अपनेपन का काम नहीं फैशन के दीवाने होकर लोग चले शहर की ओर…
नया दौर (नवगीत) नया दौर आयेगा सभ्य दौर कहलायेगा, नहीं किसी से रोका जायेगा। समता, स्वतंत्रता , शिष्टता सिखायेगा, जाहिलता और फूहड़ता भगायेगा। नारी को शोषिता होने से बचायेगा। नारी को “मान सम्मान” दिलायेगा। हां हां नया दौर आयेगा सभ्य दौर कहलायेगा, नहीं किसी से रोका जायेगा। 2 मानवता,बंधुता , प्रेम भाव, भाईचारा सिखायेगा, मारधाड़…
आत्मबोध पराकाष्ठा ( Atmabodh parakashtha ) आत्मबोध पराकाष्ठा, स्वर्वेद अनुपमा में मनुज जीवन परम ध्येय, आत्म ज्ञान अनवरत प्रयास । स्पंदन अलौकिक आभा, साधन साध्य दिव्य उजास । आत्मसात नैतिक जीवन चर्या, अंतर्मन योग ध्यान परिक्रमा में । आत्मबोध पराकाष्ठा, स्वर्वेद अनुपमा में ।। वाराणसी उमराह शोभित, विश्व विशालतम भव्य बिंदु । सात मंजिला…
मोल क्या दोगे ( Mol kya doge ) यूं ही बरसती नही बूंद बादल से याद है उसे सागर की गहराई छूकर भी ऊंचाई को हर कोई जमीनी धरातल को भूला नहीं करता… चुका दोगे ली गई कर्ज की दौलत को उस वक्त के एहसान का मोल क्या दोगे कम पड़ जायेगी तुम्हारी उम्र…