प्यार 

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प्यार 

( Pyar )

बड़ा-छोटा
काला-गोरा
मोटा-पतला
अमीर-गरीब
हर किसी को हो सकता है-किसी से प्यार ,
यह ना माने सरहदें, ना देखे दरो-दीवार,
हसीं-बदसूरत,बुढ़ा-जवान,तंदरूस्त-बीमार,
यहाँ सबके लिए खुले हैं – प्यार के किवार ।

मैं नहीं
तुम नहीं
आप नहीं
हम नहीं
एक है बंदा-संग लिए बैठा रिश्ते हज़ार,
सिर्फ़ दिल की सुनो जब अपनो से हो तक़रार,
कोई हुकुमते-निजाम ना माने ये दिले-बेक़रार
दायरों में सिमटकर कभी नहीं होता प्यार !

बेचारा
आवारा
नाकारा
खटारा
ना जाने क्या-क्या हो जाता ये दिल हमारा,
बेसहारा तो माँगे किसी की बाहों का सहारा,
उजड़ी जिंदगी में भी फिर आ जाती है बहार,
‘गर मिल जाए बेलोश चाहने वाला सच्चा यार ।

कबाब
शराब
शबाब
सबाब
सब नशे देखे; कहीं ना मिला रूहे-सुकून,
होंठ रसीले,नैन नशीले वो जवानी का जुनून,
बहुत कुछ सीने में छुपाए बैठा-ये दिले दाग़दार
तज़ुर्बे से कहते ‘दीप- सबसे बड़ा नशा है प्यार ।

 

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कवि : संदीप कटारिया

(करनाल ,हरियाणा)

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