Radhe-Krishna kavita
Radhe-Krishna kavita

राधे-कृष्णा नाम जपो

( Radhe-Krishna naam japo ) 

 

राधे-कृष्णा नाम जपो थोड़ी कर लो यारो बन्दगी,
जितने दिन तक जिओगे उसी को कहते ज़िंदगी।
क्यो करते हो व्यर्थ में चिन्ता आने वाले वक्त की,
जैसे तन को साफ रखते मन की मिटाओ गंदगी।।

 

माना मंजिल दूर है लेकिन मेहनत अपनें हाथ है,
वक्त पलटते देर ना लगता रहते भगवान साथ है।
आतें‌ जाते रहते है उत्सव त्योंहार और नूतन वर्ष,
जन्म मरण का समय निर्धारित यह‌ सत्य बात है।।

 

रट ले नाम हरि का यारा कब उठ जायेगा ये डेरा,
अच्छें कर्म करते जाना कभी भाग्य खुलेगा तेरा।
ग़रीबी-अमीरी किस्मतों के सोदे श्वासों का खेला,
आसियाना है हमारा सारी दुनिया यह रैन बसेरा।।

 

ये मानव जीवन है बहुत श्रेष्ठ समझे इसका मोल,
नींद से उठजा अब प्राणी अपनी अंखियां खोल।
सभी से रहे मिलकर एवं बोले मीठे-मीठे ये बोल,
बातो को सोच समझकर बोलो पहले करो तोल।।

 

राधेश्याम जपो सुबह-शाम चाहे बोलों सीताराम,
रिश्वत चोरी ठगी बेइमानी ये सभी है खोटे काम।
संयम क्षमा त्याग अपनत्व सबका पीना तू जाम,
हे मधुसूदन शरण में हमें रखना करते है प्रणाम।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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