Gautam Buddha par kavita
Gautam Buddha par kavita

महात्मा गौतम बुद्ध

( Mahatma Gautam Buddha ) 

 

अनेंक विद्वानों को जिसने अपना गुरू बनाया,
वह सिद्धार्थ से महात्मा गौतम बुद्ध कहलाया।
राज काज युद्ध की विद्या एवं शिक्षा भी लिया,
गुरुदेव विश्वामित्र से वेद और उपनिषद् पाया।।

 

बचपन से ही हृदय में जिनके करुणा भरी थी,
किसी जीव की पीड़ा इनसे देखी न जाती थी।
ईसा से ५६३ वर्ष पहले हुआ था इनका जन्म,
लेकिन जन्म के ७ दिन बाद माॅं चल बसी थी।।

 

कुश्ती घुड़दौड़ तीर-कमान में था बहुत माहिर,
नहीं था कोई भी रथ हांकने में ‌इनकी बराबर।
जीती बाज़ी भी हार जातें देखकर यें बुरें हाल,
ख़ुशी मिलती जीत दिलाकर चाहें ‌हारे हरबार।।

 

इनके जन्म के समय हो गयी थी भविष्यवाणी,
सिद्धार्थ से गौतमबुद्ध तक की है ढ़ेरों कहानी।
सत्य को जिसने है जाना बौद्धधर्म उसने माना,
माता महामाया कपिल वस्तु की थी महारानी।।

 

है अनमोल सभी का जीवन समझाया देशों में,
बौद्ध धर्म को अपनाया आज बहुत विदेशों में।
२६ वग्ग ४२३ श्लोक है बौद्ध धर्म समझानें में,
धम्मपद का वो स्थान है जो रामायण गीता में।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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