राजनीति की हठधर्मिता | Rajneeti ki Hathdharmita
हम बेहद आहत हैं
राजनीति की इस हठधर्मिता से
देश की राजनीति
तय करती है
सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था
और राजनीतिक सोच
लेकिन
धार्मिक , बौद्धिक सोच तय नहीं करती
यदि तय करती है
तो यह उसकी फासिस्टवादी सोच है
लेकिन
कुरीतियाँ , अन्धविश्वास
और रूढ़िवादिता को रोकना
सजग राजनीति का हिस्सा है
बौद्धिकता और वैज्ञानिकता
और उससे पैदा होने वाला साहित्य ,
अन्वेषण , नवीनतम सोच और चिन्ता
राजनीति के आगे चलने वाली
मशाल है ,
राजनीति और समाज का आईना है
और यह आईना
जब आहत होता है
और टूटता , विखरता है
तो इसका हल रुढ़ राजनीतिक बहस में नहीं
सामाजिक दायरों में है
इससे परे नहीं
आज असहिष्णुता के जो विन्दु हैं
राजनीतिक रंग में रँगने लगे हैं
और इसके मायने बदलने लगे हैं
यह निहितार्थ बेहद गलत है
अवांछनीय है ,
बेहद चिन्तनीय है
और राजनीति ने इसे गलत करार दिया है
जब स्वतन्त्र , स्वस्थ सोच वाले बौद्धिकों
और नयी सोच वाली प्रतिभाओं ,
वैज्ञानिकों को
गलत करार दिया जाता है
तो निश्चय ही
वह देश , वह समाज , वह व्यवस्था
रूढ़िवादी , अहंकारी
और फासिस्टवादी हो जाती है
आज नहीं तो कल।
हम बौद्धिक सोच वाले साहित्यधर्मी
आहत हैं
बेहद आहत हैं
राजनीति की इस हठधर्मिता से !!!
डॉ.के.एल. सोनकर ‘सौमित्र’
चन्दवक ,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )