सादगी अच्छी नहीं | Saadgi Shayari
सादगी अच्छी नहीं
( Saadgi Achi Nahi )
हद से ज़्यादा सादगी अच्छी नहीं
बेहिसों से बंदगी अच्छी नहीं।
पास है दरिया समंदर मांगता
देख इतनी तिश्नगी अच्छी नहीं।
जानकर सब नासमझ बनता है वो
बस अदा उसकी यही अच्छी नहीं
तू न हो जिसमें तेरा जलवा न हो
मौत सी वो ज़िंदगी अच्छी नहीं।
तीरगी की ओर जो ले जा रही
वो चमकती रौशनी अच्छी नहीं।
दिन ब दिन जो बढ़ रही तेरे लिए
इस तरह दीवानगी अच्छी नहीं।
है जुबां शीरीं मगर दिल में हसद
आजकल की दोस्ती अच्छी नहीं।
दिल दुखा करके किसी मज़लूम का
जो मिले ऐसी खुशी अच्छी नहीं।
ज़िक्र हो जिसमें नहीं मेरा नयन
वो तुम्हारी शायरी अच्छी नहीं।
सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )