सब मिलकर पेड़ लगाये

सब मिलकर पेड़ लगाये | Geet Sab Milkar Ped Lagaye

सब मिलकर पेड़ लगाये

( Sab milkar ped lagaye )

 

पेड़ लगाओ सब मिलकर,
जीवन की जंग जीतनी है।
सोचो बिन प्राणवायु के,
मुश्किलें आएंगी कितनी है।।

 

सोचो समझो मनन करो,
कारण सहित भेद पहचानो।
तरुवर बिन बोलो कैसे,
ले सकोगे सांसे इंसानों।।

 

पृथ्वी पर दूर तलक तक,
वृक्ष दिखाई ना दे कोई।
सांसों की सरगम अटके,
कुदरत की छटा लगे खोई।।

 

कुदरत से खिलवाड़ किया,
संकट के बादल घिर आए।
अतिक्रमण नदी किनारे,
मनुज कर बाढ़ से घबराए।।

 

भविष्य सांसो का धरा पर,
रह रह कर खूब सताता है‌।
दरख़्त बिन धरा की हालत,
नैनो से पानी आता है।‌।

 

मनुज प्रकृति प्रेमी बन,
अब वृक्षारोपण करना है।
जगत में अलख जगा हमें,
वन हरियाली से भरना है।।

 

हर युवा वृद्ध बालक भी,
सब मिलकर पेड़ लगाएंगे।
प्राणवायु भरपूर मिलेगी,
हर संकट से टकराएंगे।‌।

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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