समय | Samay par Bhojpuri Kavita
” समय ” भोजपुरी कविता
( Samay par Bhojpuri Kavita )
झकझोर देलऽक दुनिया ओके झोर के
लूट लेलऽक मिठ ओ से बोल के
अउर तुडलक ओके मडोड के
आज हसेला लोग देख के ओके जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के
सब केहू गइल ओके छोड़ के
दरद ओके खायेला खोर-खोर के
ना केहू देवेला साथ कमजोर के
हसेला दुनिया देख के ओके जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के
कबो जवाना छुअत रहे ओके गोड के
आज सुनेला बात चारों ओर से
साथे लोग ब्इठत रहे काम छोर के
आज हसेला सबे ओके देख के जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के
समय अ्इसन आइल छाइल घटा घन-घोर के
मिट गइल नामों निशान जिंदगी में अंजोर के
अइसन पाला पड़ल समय मुंह जोर के
गिर गइल मुहखुडिया उ जोर से
झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के
रचनाकार – उदय शंकर “प्रसाद”
पूर्व सहायक प्रोफेसर (फ्रेंच विभाग), तमिलनाडु
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