सावन | Swan kavita
सावन
( Sawan )
–> आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते ||
1.फूल खिल रहे बगियन में, रंग बिरंगे तरह-तरह |
बादलों में बिजली चमके, रिम-झिम बरसे जगह-जगह |
कहीं मूसलाधार हो बारिश, टिम-टिम बरसे कहीं-कहीं |
कोई कहता रुक जा मालिक, कहता कोई नहीं-नहीं |
–>आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते ||
2.सूरज की किरण पड़े, तितली-भंवरे हो कलियन में |
हरे भरे अब होंगे जंगल, बहेंगे झरने गलियन में |
बच्चे नाव बनाते कागज की, तैसते-हर्षाते मन में |
खुल के नाच रहा होगा, मोर कहीं किसी वन में |
–>आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते ||
3.पानी भरेगा खलिहानों में, खुशियों का आगवन होगा |
लहरायेंगे खेत में फसलें, चिन्ता का गमन होगा |
भर जायेंगे ताल-तलैया, मेढ़क टर्र-टर बोलेंगे |
गर्मी की रुत छोड़ के मौसम, सर्दी की चादर ओढ़ेंगे |
–>आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते ||
4.खुले गगन में रंग बिखराये, इंद्र-धनुष दिखता होगा |
धरती-अम्बर के मिलने का, जैसे कोई गजरा होगा |
धरती पर जब होंगे बादल, खाली सारा गगन होगा |
कितना सुन्दर होगा पल, धरती अम्बर का मिलन होगा |
–>आया सावन झूमते, धरती को यूं चूमते ||
कवि : सुदीश भारतवासी