स्कूल | School par Bhojpuri kavita
स्कूल
( School )
ज्ञान के अंगना में आवऽ,
फिरु से हम पलि बढ़ी
कहीं हिम्मत, कहीं बेहिम्मत,
मिल के हम इतिहास गढ़ी
कबो सर जी के आहट से
चारों ओर सननाहट से
ज्ञान से अजोर करी
आवऽ फिर हम जोर करी
कबो कबड्डी, कबो क्लास
कबो झगड़े के प्रयास
हर बात में रूठा रुठी
नादानी में सब कुछ छुटी
एक साथ में खाना खाई
संघे-संघे मिल सब गाना गाई
मस्ती में सवाल बनाई
हल्ला हुरदूंग सबसे कराई
आवऽ फिरु स्कूल जाई
सुबह सुबह हम जल्दी जागी
माई के अचरा से हम भागी
बाबु जी से पइसा मांगी
खाना ले हम घर से भागी
रास्ता में हुरदुंग मचाई
आम चोरा, अमरूद पे जाई
बुढ़िया के हम खुब चिढ़ाई
सुन्दर सुन्दर गाली पाई
घर पे ओरहन रोज भेजवाई
आवऽ हम स्कूल जाई
ना कवनो डर, ना भय सताई
विज्ञान, गणित खुब रचाई
फिर भी हमेशा जिरो आई
बाबु जी से खुब थुराई
माई के अचरा में छुप जाई
आवऽ हम स्कूल जाई
अंग्ररेजी में ना रहे दिलचसपी
लागे जईसन भीगी बिल्ली
भुगोल लागे घर की चैहददी
अ्इसन आपन दिमाग के गद्दी
एक साथ हो हाथ मिलाई
आवऽ फिरु स्कूल जाई
कबो दुआ, कबो सलाम
कबो गोड छु, कबो हाथ जोड़ प्रणाम
ना कवनो जाति के अपमान
मस्त मौला मस्त विचार
सबके एक बराबर सम्मान
एक बोलाहट दउडल जाई
सर जी के काम में हाथ बटाई
अ्इसन आपन ऊचा विचार
हम उ स्कूल के करी बार बार प्रणाम
जवन जगह हऽ ज्ञान के जननी
प्यार अउर अजोर के जननी
अ्इसन जगह में घुल मिल जाई
आवऽ फिर हम स्कूल जाई