शब्द

( Shabd ) 

( 2 ) 

शब्द से अधिक
शब्द के भाव महत्व के होते हैं
प्रसंग के अनुरूप
शब्द बोध का होना जरूरी है

ना व्यक्ति महत्वपूर्ण है न शब्द महत्वपूर्ण है
महत्वपूर्ण तो उद्गम स्रोत होता है
एक ही बात को कब ,किसने, किसके लिए कहा
शाब्दिक अर्थ वही महत्व का होता है

शब्द कैसे भी हो
कहीं से भी हो
लेकिन उसके प्रति आपका स्पष्टीकरण ही
आपके लिए अर्थ बन जाता है
जबकि उसका मूल उद्देश्य कुछ भी हो सकता है

अतः शब्द की महत्ता
केवल शब्दों के अंतर्बोध से नहीं
बल्कि आपकी समझ पर ही केंद्रित होता है
और बिना आपके समझे
संगीत कितना हि प्रिय क्यों न हो
आपको बेसुरा ही प्रतीत होता है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

 

( 1 )

शब्दों से मत खेलिए जनाब
शब्द बहुत खतरनाक होते हैं

कभी-कभी मुंह
तो कभी हाथ जला देते हैं

हो अगर सटीक शब्द
तो सिंहासनारुढ़ भी कर देते हैं
हो अगर भावुक
तो प्रतिफल रुला देते हैं

ये शब्द ही है
जो उदास जिंदगी में नई उमंग भर देते हैं

है शब्द एक पूजा
जो साधक को अपने अमर बना देती है

इसलिए ना खेल इन शब्दों से
करना नित उनकी पूजा

कभी नाराज ना हो जाए यह तुमसे
ठौर मिलेगा ना कहीं दूजा

( 2 )

शब्द ही शब्द की पूजा है
शब्द ही उसका स्वरूप
शब्द से त्रिदेव बने हैं
शब्दों से बना मानव भूत

बिन शब्द के सुना है
यह धरती यह संसार
ईश्वर भी मिलेगा तुमको
शब्दों के संसार

शब्द ही बहती है
पक्षियों के सुरम्य आवाजो में
शब्द ही कोलाहल करती है
महा प्रलय के भावों में

शब्दों के खेल निराले हैं
इन्हें समझना जरूरी है
जो ना समझे शब्दों को
उनका मिटना जरूरी है
हां उनका मिटना जरूरी

 

 नवीन मद्धेशिया

गोरखपुर, ( उत्तर प्रदेश )

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