Shiksha Kavita | Shiksha Par Kavita | Poem On Shiksha -शिक्षा
शिक्षा
( Shiksha )
प्रभु श्री राम जी आयेंगे ( Prabhu shri ram ji ayenge ) प्यारे, राम राम भज लेना, प्रभु श्री राम जी आयेंगे। जरा, राम राम बोल लेना, तन मन में राम नाम पाएंगे।। प्यारे, घर द्वार सजा लेना, प्रभु श्री राम जी आयेंगे। जरा, सिंदूर लेकर आना, संग में हनुमान जी आयेंगे।। प्यारे, बंधनवार…
प्रतिशोध ( Pratishodh ) मै हार नही सकता फिर ये, जंग जीत दिखलाऊंगा। फिर से विजयी बनकर के भगवा,ध्वंजा गगन लहराऊगा। मस्तक पर चमकेगा फिर सें, चन्दन सुवर्णा दमकांऊगा। मै सागर जल तट छोड़ चुका पर,पुनः लौट कर आऊँगा। जी जिष्णु सा सामर्थवान बन, कुरूक्षेत्र में लौटूंगा। मैं मरा नही हूँ अन्तर्मन…
बरखा ( Barakha ) छम-छम करती आ पहुंची, फुहार बरखा की। कितनी प्यारी लगती है, झंकार बरखा की।। हल्की-फुल्की धूप के मंजर थे यहां कल तलक। टपा-टप पङी बूंदे बेशुमार बरखा की।। पानी का गहना पहने है , खेत, पर्वत, रास्ते। करके श्रृंगार छाई है , बहार बरखा की।। झींगुर, मोर,…
संस्कार! ( Sanskar ) राम का संस्कार फिर देश में लाया जाए, पीकर आँसुओं को न जीवन बिताया जाए। खत्म हुआ समाज से छोटे- बड़े का अदब, भरत का वो कठोर तप सबको बताया जाए। लोग खौफजदा हैं आजकल के माहौल से, बाग की बुलबुल को बहेलिए से बचाया जाए। ठीकेदार बन बैठी घरों…
बिनकहे ( Binkahe ) रहते हों इंसान जहाँ वो मकान खंडहर नहीं होते रहते हों जहाँ फकत इंसान वो महल भी खंडहर से कम नहीं होते बुलावा हो फर्ज अदायगी का ही तो वहाँ भीड़ ही जमा होती है आते हैं बनकर मेहमान लोग उनमे दिली चाहत कहाँ होती है शादी का बंधन भी तो…
उलझन ( Uljhan ) मचा हुआ है द्वंद हृदय में, कैसे इसको समझाए। यायावर सा भटक रहा मन, मंजिल तक कैसे जाए। उलझी है जीवन हाथों की,टेढी मेढी रेखाओ में। एक सुलझ न पायी अब तक,दूजी कैसे सुलझाए। वो मुझको चाहत से देखे, पर मन मेरे और कोई। मेरे मन मे रमा…