सुहाना सपना | Suhana Sapna
सुहाना सपना
( Suhana sapna )
मेरा बॉस मुझे घर छोड़ने आया,
उसने था मेरा ब्रीफकेस उठाया।
सब्जी का थैला बीवी को थमाया,
सैलरी का चेक भी उसको बताया।
बीवी ने झट मुझे कुर्सी पे बिठाया,
फ्रिज से ठंडा पानी ला के पिलाया।
प्यार से मेरे माथे को था सहलाया,
हाथों से मेरे पैरों को भी दबाया।
अपने पल्लू को हवा में यूँ लहराया,
मुझे ठंडी हवा का एहसास कराया।
डाइनिंग टेबल पर खाना लगाया,
अपने हाथों से मुझे खाना खिलाया।
खाने के बाद बेडरूम में बुलाया,
खुद मेरे लिए उसने पेग बनाया।
पास में मेरे नमकीन सरकाया,
खुद खाया मुझे भी खिलाया।
इतना प्यारा सपना मुझको आया,
जगने का मन नहीं कर रहा भाया।
झूठ बोलने में मैंने रिकार्ड बनाया!
क्या बताऊं मैं कितना मजा आया।
कवि : सुमित मानधना ‘गौरव’
सूरत ( गुजरात )
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