बहुत समझाया, बहुत मनाया
बहुत समझाया, बहुत मनाया

बहुत समझाया, बहुत मनाया

( Bahot Samjhaya Bahot Manaya )

 

बहुत समझाया, बहुत मनाया

डराया भी ,धमकाया भी

वक़्त की नज़ाकत समझो

फासलों को नजदीकियां…

पर वे तो ऐसे थे एक हुए

बगावत के सुर बोल रहे

एक एक करते थे जुट हुए

धरने पर वो जैसे  बैठे हुए …

अशआर कभी कोई नज़्म

कोई ग़ज़ल  बन घूम रहे

नस नस में आफ़त करते

‘आज  न मानूं’ की रट लिए

Suneet Sood Grover

लेखिका :- Suneet Sood Grover

अमृतसर ( पंजाब )

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