स्वतंत्रता
स्वतंत्रता नभ धरातल रसातल में ढूंढ़ता। कहां हो मेरी प्रिये स्वतंत्रता।। सृष्टि से पहले भी सृष्टि रही होगी, तभी तो ये बात सारी कहीं होगी, क्रम के आगे नया क्रम फिर आता है, दास्तां की डोर बांध जाता है।। सालती अन्तस अनिर्वचनीयता।। …
स्वतंत्रता नभ धरातल रसातल में ढूंढ़ता। कहां हो मेरी प्रिये स्वतंत्रता।। सृष्टि से पहले भी सृष्टि रही होगी, तभी तो ये बात सारी कहीं होगी, क्रम के आगे नया क्रम फिर आता है, दास्तां की डोर बांध जाता है।। सालती अन्तस अनिर्वचनीयता।। …
जाने कहां चले गए ? ****** महंगाई महंगाई का शोर करने वाले, सड़क और संसद पर धरना देने वाले! नहीं दिख रहे आजकल? जो बात बात पर करते थे बंद का आह्वान, प्याज की माला गले में डाल- चलते थे सीना तान। जाने कहां चले गए? सो रहे होंगे शायद? या फिर खो गए होंगे…
शहर में कोई अपना रहबर नहीं दें सहारा मुझे वो मिला घर नहीं शहर में कोई अपना रहबर नहीं कर लिया प्यार का फ़ूल उसनें क़बूल आज उन हाथों में देखो पत्थर नहीं क़त्ल कर देता मैं उस दग़ाबाज का हाथ में मेरे ही वरना ख़ंजर नहीं हर तरफ़ नफ़रतों…
यही सच्चाई है जिंदगी की ———-&&—— कभी दुखों का सैलाब तो कभी खुशियों की बारिश है जिंदगी कभी मां-बाप की डांट फटकार, तो कभी लाड ,प्यार का एहसास है जिंदगी कभी भाई बहन का झगड़ना तो कभी प्यार ,हंसी-खुशी है ज़िंदगी, कभी समाज की आलोचनाएं तो कभी मिली प्रोत्साहन है जिंदगी, कभी लोगों से…
ये है कैसी मजबूरी है ये है कैसी मजबूरी है! मिलना पर उससे दूरी है बात अधूरी है उल्फ़त की न मिली उसकी मंजूरी है जाम पिया उल्फ़त का उसके हाथों में अब अंगूरी है टूटी डोर मुहब्बत की ही न मिली उसकी मंजूरी है भौरा क्या बैठे फूलों…
सच्चाई की ताकत ***** मैं सच कहता रहूंगा ज़ालिम! चाहे उतार लो- मेरी चमड़ी खिंचवा लो मेरे नख होउंगा नहीं टस से मस? मजबूत हैं मेरे इरादे चाहे जितना जोर लगा लें पीछे नहीं हटूंगा सच कहता हूं कहता ही रहूंगा। जुल्म के आगे तेरे नहीं मैं झुकूंगा मरते दम तक सच ही कहूंगा। मरने…
ओ मेरी प्रियसी ( नेपाली कविता ) तिम्रा ति घना काला नयनहरु मा कतै त हौंला म तिम्रा चयनहरु मा अपार प्रेम राखी हृदय को द्वारमा आएँ म प्रिय तिम्रो सयनहरु मा पिडा को गाथा लिई म आएँ तिमि सामु तिमि तर आयौं कथा का बयानहरू मा मेरो गीत, मेरो…
शिक्षण सेवा के २१ वर्ष ****** ख़ुशी का है दिन आज- मना लो खुशी, आज ही के दिन हुई थी- तुम्हारी नियुक्ति। ली थी तुमने- पद , गोपनीयता , सेवा की शपथ, खायी थी कसम होगे न पथ भ्रष्ट। आज २१वीं बरसी पर दिल पर हाथ रख- पूछो अन्तर्मन से कुछ सवाल, इन वर्षों में,…
ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है। लोग जिंदा-दिल समझ पाये हँसी क्या चीज है।। दिल मिला हो जिससे गहरा उससे दूरी फिर कहां। दिल लगाकर हमने जाना आशिकी क्या चीज है।। इक नशा सा छा रहा है दिल…