पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है !
पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है ! इसलिए आहें निकलती दिल से है मिल गया है दर्द दिल को इक ऐसा वो गया पीला दग़ा की चाय है बेवफ़ा से मैं मुहब्बत कर बैठा जो नहीं समझा वफ़ा की चाय है रह…
पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है पी मुहब्बत की मैंनें भी चाय है ! इसलिए आहें निकलती दिल से है मिल गया है दर्द दिल को इक ऐसा वो गया पीला दग़ा की चाय है बेवफ़ा से मैं मुहब्बत कर बैठा जो नहीं समझा वफ़ा की चाय है रह…
पास उसके हमारा घर होता काश कुछ इस कदर बसर होता। पास उसके हमारा घर होता ।। काटकर पेड़ उसने रोके कहा छांव मिलता जो इक शज़र होता।। रतजगे मार डालेंगे अब मुझे, यार तुम पर भी कुछ असर होता।। जीने मरने की तो फिकर ही कहां, जो भी होता…
प्यार है तू देख मेरे गांव में प्यार है तू देख मेरे गांव में जो नहीं है शहर में लेकिन तेरे नफ़रतों के ही मिले ख़ंजर मुझे दोस्त चलता हूँ मै अपनें गांव में शहर में तो तल्ख़ लहजे है बहुत प्यार के लहजे है मेरे गांव में चोट दिल…
ढा रही है सितम सादगी आपकी ढा रही है सितम सादगी आपकी। कातिलाना अदा यूं सभी आपकी।। उस ख़ुदा की तरह दिल से चाहा तुझे। कर रहा है ये दिल बंदगी आपकी। महफिलों में गया तो वहां ये लगा। खल रही है कहीं कुछ कमी आपकी।। हुश्न तेरा वो दिल…
ढ़ाई आखर प्रेम के ( दोहे ) ( मंजूर के दोहे ) ***** १) ढ़ाई आखर प्रेम के,पंडित दियो बनाय। सद्भावना के पथ चले,जग को हिंद सुहाय।। २) ढ़ाई आखर प्रेम के,मित्रता दियो बढ़ाए। शत्रुता मिटाकर शत्रु जन,करने सलाह आए।। ३) ढ़ाई आखर प्रेम के, हैं उच्च शक्ति के पुंज। तमस मिटा रौशन करें,हर ले…
चाहे काँटे मिले या कि फूल चाहे काँटे मिले या कि फूल मुस्कुरा के तू कर ले क़ुबूल झूट को सच कहा ही नहीं अपने तो कुछ हैं ऐसे उसूल हाल ऐसा हुआ हिज्र में जर्द आँखें है चेहरा मलूल आस फूलों की है किसलिए बोये हैं आपने जब बबूल …
ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ ग़म में ही ऐसा बिखरा हूँ ! अंदर से इतना टूटा हूँ दिल से उसका मेरे भुला रब यादों में जिसकी रोता हूँ नफ़रत उगली है उसने ही जब भी कुछ उससे बोला हूँ ग़ैर हुआ वो चेहरा मुझसे उल्फ़त जिससें मैं करता हूँ…
नारी : एक स्याह पक्ष ! ( मंजूर के दोहे ) ******* १) नारी नारी सब करें, किसी की यह न होय। उद्देश्य पूर्ति ज्यों भयो, पहचाने ना कोय।। २) नारी सम ना दुष्ट कोई, होवे विष की खान। दयी लयी कुछ निपट लो,संकट डाल न जान।। ३) त्रिया चरित्र की ये धनी,करें न कभी…
है जुबां पे सभी के कहानी अलग है जुबां पे सभी के कहानी अलग। फितरते है अलग जिंदगानी अलग।। कौन माने किसी की कही बात को। खून में है सभी के रवानी अलग।। मानता खुद को कमतर ना कोई यहां। जोश से है भरी हर जवानी अलग।। लाभ की चाह …