रिश्तों का सच | Kavita
रिश्तों का सच ( Rishton ka sach ) स्वार्थ से परिपूर्ण रिश्ते,इस जहां में हो गए है, पुष्प थे जो नेह के वो, शूल विष के बो गए है। प्रेम से अपनी कहानी, जो सुनाते हैं हमें, हमने जब अपनी कही तो, कोह हमसे हो गए है। फूल मेरे बाग से चुन,आशियां…