पर्यावरण देता हिदायत || Kavita
पर्यावरण देता हिदायत ( Paryavaran deta hidayat ) मैं पर्यावरण हूं, तुम सब का आवरण हूं। रख लोगे गर मुझे सुरक्षित , हो जाओगे तुम भी सुरक्षित। मैं करू सहन अब कितना? होता न सहन अब इतना। तुम मानव की गलती पर , मैं कुढ़ कुढ़ रोता हूं। मेरी एक ही गलती पर, देखो…