जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते

Kavita | जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते

जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते ( Jang Lagi Ho Gar Lohe Mein To Tale Nahin Banate )   जंग लगी हो गर लोहे में तो ताले नहीं बनाते  गरीब गर गरीब है तो लोग रिश्ते नहीं बनाते   जर्जर हो गर बुनियाद तो मीनारें रूठ जाती हैं सुखे हो गर…

Ek Maa Ki Bebasi

एक मां की बेबसी | Kavita

एक मां की बेबसी ( Ek Maa Ki Bebasi ) विकल्प नहीं है कोई देखो विमला कितना रोई सुबककर दुबककर देख न ले कोई सुन न ले कोई उसकी पीड़ा अनंत है समाज बना साधु संत है जानकर समझकर भी सब शांत हैं किया कुकृत्य है शोहदों ने जिनके बाप बैठे बड़े ओहदों पे सुधि…

तुम मिलते या न मिलते एक स्टेट्स लगाते

Vyang | तुम मिलते या न मिलते एक स्टेट्स लगाते

तुम मिलते या न मिलते एक स्टेट्स लगाते ( Tum Milte Ya Na Milte Ek Status Lagate )   तुम मिलते या न मिलते एक स्टेट्स लगाते। मोबाइल के बहाने से हम तुम्हे देख पाते।।   मेसैजिंग   रेगुलर   करते  रिप्लाई  रेगुलर  जाता, प्रेम के दुश्मन भी इसको कभी भी न समझ पाते।।   वीडियो काल…

हमारी बेवकूफियां

हमारी बेवकूफियां | Kavita

हमारी बेवकूफियां ( Hamari Bewakoofiyaan )   सचमुच कितने मूर्ख हैं हम बन बेवकूफ हंसते हैं हम झांसा में झट आ जाते हैं नुकसान खुद का ही पहुंचाते हैं सर्वनाश देख पछताते हैं पहले आगाह करने वाले का ही मज़ाक हम उड़ाते हैं न जाने क्या क्या नाम उन्हें दे आते हैं शर्मिंदा हो आंख…

थप्पड़

Kavita | थप्पड़

थप्पड़ ( Thappad ) *** उसने मां को नहीं मारा मार दिया जहान को अपनी ही पहचान को जीवन देने वाली निशान को। जान उसी की ले ली, लिए गोद जिसे रोटियां थी बेली। निकला कपूत, सारे जग ने देखा सुबूत। हो रही है थू थू, कितना कमीना निकला रे तू? चुकाया न कर्ज दूध…

अपना बचपन

Kavita | अपना बचपन

अपना बचपन ( Apna Bachpan )   बेटी का मुख देख सजल लोचन हो आए, रंग बिरंगा बचपन नयनों में तिर जाए । भोर सुहानी मां की डांट से आंखे मलती, शाम सुहानी पिता के स्नेह से है ढलती। सोते जागते नयनों में स्वप्निल सपने थे, भाई बहन दादा दादी संग सब अपने थे। फ्राक…

अनबन

Kavita | अनबन

अनबन ( Anban )   ** बदल गए हो तुम बदल गए हैं हम नए एक अंदाज से अब मिल रहे हैं हम। ना रही वो कसक ना रही वो ठसक ना रहे अब बहक औपचारिकता हुई मुस्कुराहट! चहक हुई काफूर बैठे अब तो हम दूर दूर! जाने कब क्यूं कैसे चढ़ी यह सनक? मिलें…

नारी व्यथा

Kavita | नारी व्यथा

नारी व्यथा ( Nari Vyatha )   मेरे हिस्से की धूप तब खिली ना थी मैं भोर बेला से व्यवस्था में उलझी थी हर दिन सुनती एक जुमला जुरूरी सा ‘कुछ करती क्यूं नहीं तुम’ कभी सब के लिए   फुलके गर्म नरम की वेदी पर कसे जाते शीशु देखभाल को भी वक्त दिये जाते…

अबोध

Kavita | अबोध

अबोध ( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध, नहीं  था  किसी  बात का बोध। जहाॅ॑  तक  भी  नजर जाती थी, सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद।   निश्छल मन क्या तेरा क्या मेरा, मन लगे सदा जोगी वाला फेरा। हर  ग़म मुश्किल से थे अनजान मन  में  होता  खुशियों का डेरा।   हर  किसी  में …

आसिफ की आपबीती

Kavita | आसिफ की आपबीती

आसिफ की आपबीती ( Asif Ki Aap Beeti ) ****** लगी थी प्यास मंदिर था पास गया पीने पानी थी प्यास बुझानी समझ देवता का घर घुस गया अंदर नहीं था किसी का डर पी कर वापस आया तभी किसी ने पास बुलाया पूछा क्या नाम है? बताया आसिफ है! सुन वो बड़ा ही चौंका…