चित आदित्य

Kavita | चित आदित्य

चित आदित्य  ( Chit Aditya ) देखो ! उसकी सादगी, गीली मिट्टी से ईंट जो पाथ रही। लिए दूधमुंहे को गोद में, विचलित नहीं तनिक भी धूप में। आंचल से ढंक बच्चे को बचा रही है, रखी है चिपकाकर देह से- ताकि लगे भूख प्यास तो सुकुन से पी सके! खुद पाथे जा रही है।…

नई पीढ़ी न कतराए अखबार से

नई पीढ़ी न कतराए अखबार से || kavita on news

नई पीढ़ी न कतराए अखबार से ( Nai Pidhi Na Katraye Akhbar Se )   नई पीढ़ी को अखबार नहीं भाते पढ़ने से हैं कतराते जाने क्या हो गया है इन्हें? पढ़ना ही नहीं चाहते! एक हम थे पैसे भी नहीं थे फिर भी थी एक दीवानगी अखबार के प्रति जो अहले सुबह चाय की…

चैती

Lokgeet | चैती

 चैती ( Chaiti Lokgeet )   काहे  गए  परदेश  सजनवा,  काहे  गए  परदेश। प्रीत मोरी बिसरा के सजनवा,छोड़ गए निज देश।   फागुन बीता तुम बिन सजनवा,चैत चढा झकझोर। भरी दोहपरी अल्लड उडे है, गेहूंआ काटे मलहोर।   पुरवा पछुआ कभी उडे तो, कभी उडे चकचोर। सांझ  ढलत  ही चैती गाए तब, नैन बरसाए नीर।…

जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय

दोहा सप्तक | जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय

 जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय ( Jeevan Ik Kachahari  Hai,Sabko Milata Nyaay )   जीवन इक कचहरी है,सबको मिलता न्याय। बिना मुकदमा केस का,समय सुनाये राय।   रखें मुखौटा बॉंधकर,घूमें मत बाजार। साफ सफाई से करें,कोरोना संहार।   नहीं सियासत में कभी,होता कोई मित्र। किन्तु शुभ संकेत नहीं,इसका रक्त चरित्र।   जीवन के कैनवास…

सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है

Ghazal | सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है

सर उठाना तो सदा बेबसी से बेहतर है ( Sar Uthana To Sada Bebasi Se Behtar Hai )   सर  उठाना  तो  सदा  बेबसी से बेहतर  है सर-कशी कैसी भी हो ख़ुद-कुशी से बेहतर है   हुस्न सजने से , संवरने से दबा जाता है क्या कोई रंग तेरी  सादगी  से बेहतर है   उसकी…

मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे

Ghazal Mushkil tha Daur | मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे

मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे ( Mushkil Tha Daur Aur Sahare Bhi Chand The )   मुश्किल था दौर और सहारे भी चंद थे मैं फिर भी जीता क्यूं कि इरादे बुलंद थे   राहें  निकाली मैंने वहां से कई नयीं देखा जहां पहुंच के सब रस्ते बंद थे   समझा तमाम…

भाग्य

Kavita | भाग्य

भाग्य ( Bhagya ) जनक  ने चार  चार  पुत्री ब्याही थी, धरती के उत्तम कुल में। मिले थे छत्तीस के छत्तीस गुड़ उनके, धरती के उत्तम वर से।   पूर्व  जन्मों  का  तप था जनक सुनैना, हर्षित होकर इठलाते थे। दिव्य था रूप अवध के उत्तम कुल से, जुडने को है भाग्य हमारे।   कोई…

आजा साथी धूम मचाएं होली में

Holi Par Kavita | आजा साथी धूम मचाएं होली में

आजा साथी धूम मचाएं होली में ( Aaja Sathi Dhoom Machaye Holi Mein )   आजा साथी धूम मचाएं होली में, थिरक थिरक मौज मनाएं होली में   भूलकर सारे राग द्वेष, हम मिल जाएं होली में। ढ़ोल नगाड़े ताशे की गूॅ॑जे, प्रेम रस बरसाएं होली में।   आजा साथी धूम.मचाएं होली में, थिरक-थिरक मौज…

हम भारत के लोग

Kavita | हम भारत के लोग

हम भारत के लोग ( Ham Bharat Ke Log ) ****** हम भारत के लोग हैं सीधे सच्चे सादे इसी का फायदा अक्सर विदेशी मूल के लोग हैं उठाते चंगुल में फंसकर हम उनके सदियों से हैं हानि उठाते। डराते धमकाते बहकाते हमें है आपस में हैं लड़ाते यही खेला खेलकर संसाधनों पर हमारी कब्जा…

काहे बावड़ी पे बैठी राधा रानी

Kavita | काहे बावड़ी पे बैठी राधा रानी

काहे बावड़ी पे बैठी राधा रानी ( Kahe Bawri Pe Baithi Radha Rani )   काहे बावड़ी पे बैठी राधा रानी, चलो चलते है यमुना के घाट पे। आया  सावन   भरा  नदी   पानी, चलो चलते है नदियां के घाट पे।।   बैठ कंदम्ब की डाल कन्हैया, मुरली  मधुर  बजाए। जिसकी धुन पर बेसुध गैय्या, ऐसी …