तमाम शख़्स | Tamam Shakhs
तमाम शख़्स
( Tamam Shakhs )
तमाम शख़्स यूं तो जिंदगी में आए गए
बस एक आप ही ऐसे हैं जो बुलाए गए
हर उस कहानी को सुनने के तलब-गार हैं हम
कि जिस कहानी में हम बेवफ़ा बताए गए
के जब भी वसवसे आए हैं काटने को मुझे
तुम्हारी याद के लुक़मे उन्हें खिलाए गए
बहार आई थी गुलशनपुरा की गलियों में
सो उसके नक़्श-ए-पा पे गुल नगर बसाए गए
फिर एक बार मिले छत पे सारे यार मगर
अजीब बात के क़िस्से नहीं सुनाए गए
वो तैश तैश में जो बोलती गई है ‘असद’
फिर उसके बाद के नखरे नहीं उठाए गए
असद अकबराबादी