टुन्न टुन्नू की होली | Kavita Tunn Tunnu ki Holi
टुन्न टुन्नू की होली
( Tunn Tunnu ki Holi )
अबकी बेरिया होली मइहां,
टुन्नू भइया पीकर भंग।
चटक मटक होरिहारन संग,
दिन भर रहे बजावत चंग।
सांझ भई तो घर का पहुॅचे,
देखि भये बड़कउनू दंग।
मंझिला भौजी मिलीं दुवरिया,
नैन मटक कर खींची टंग।
छमिया भरी बाल्टी उड़ेली,
ढलकि गये तब सगरे रंग।
नहा, पहिन के वस्त्र लकालक,
बदल गया है सब रंगढंग।
नेह लुटाके बिठाके पीढ़ा,
छमिया धरा सजाकर थाल।
देखि के सगरे व्यंजन हुइगे,
टुन्नू भइया मालामाल।
दुनहुन के जब नैन मिले,
तो हुये इशारे अलबेले।
प्रीति कि रीति कहां पहुंची,
ये जाने न कोई रसीले झमेले।
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)