उमंगों की पतंगे उड़ाओ | Umang par kavita
उमंगों की पतंगे उड़ाओ
( Umangon ki patang udao )
उमंगों की पतंगे लेकर आओ मचाए हम भी शोर।
गली गली घूमते गाते चले आई है सुहानी भोर।
जीवन में उड़ानें भर आओ चले खुशियों की ओर
प्यार के तरानो से सुलझा लेंगे हम रिश्तो की डोर।
नई आशाएं जोश जज्बा हृदय में भरकर भरपूर।
रिश्तो में मिठास घोल दे हो जाये हम भी मशहूर।
आओ आसमां को छूएं कर लें जरा गगन की सैर।
प्यार के मोती चले लुटाते होकर बुराई से हम दूर।
ठंडे ठंडे मौसम में भी उमंगो की लगती भरमार।
रंग बिरंगी लेकर पतंगे छत्त पे चढे बीवी भरतार।
कोई काटे कोई लूटे भागमभाग सी मच रही भारी।
तिल के लड्डू घेवर बंट रही गर्म जलेबी मजेदार।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )