वरदान | Vardan Chhand
वरदान
( Vardan )
मनहरण घनाक्षरी
जिंदगी वरदान से,
कम ना समझ लेना।
हंसी खुशी आनंद से,
जीवन बिताइये।
मात पिता आशीष दे,
करो सेवा भरपूर।
चरण छूकर प्यारे,
वरदान लीजिए।
साधु संत ऋषि मुनि,
करे जप तप योग।
वरदान से सिद्धियां,
शुभ कार्य कीजिए।
बड़े-बड़े महारथी,
योद्धा वीर बलवान।
कठोर तपस्या करें,
प्रभु वर दीजिए।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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