व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू कभी | Ghazal
व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू कभी
( Waqt mile to aankhon se aankhen milana tu kabhi )
व़क्त मिले तो आँखों से आँखें मिलाना तू कभी !
खीर खाने प्यार की तू मेरे घर आना तू कभी
प्यार के तू बांटना हर शख़्स को गुल देखले
साथ नफ़रत का नहीं दिल से निभाना तू कभी
काट देना उन सरों को बाटे है नफ़रत यहां
दुश्मन के आगे नहीं सर को झुकाना तू कभी
दोस्ती में तू सदा रखना वफ़ा से दिल भरा
बेवफ़ा अपना नहीं ये दिल दिखाना तू कभी
प्यार की आँखें मिलाना तू हमेशा के लिये
हाँ कभी मुझसे नहीं आँखें चुराना तू कभी
देखना तू राह मेरी भूल नहीं जाना सनम
साथ आज़म के ग़ज़ल उल्फ़त की गाना तू कभी