Romantic Ghazal | Love Ghazal -वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगे
(Wo Mujhe Dekh kar Muskurane Lage)
वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगे!
वो अपना ही दीवाना बनाने लगे
फ़ोन आता नहीं उनका परदेश से
वो हमें शायद दिल से भुलाने लगे
बात दिल की तो कहते नहीं है मगर
तीर नजरों का हमपे चलाने लग
गांव में उनके बिन दिल नहीं लगता है
शहर उनको मिलनें रोज़ जाने लगे
मुस्कुरा है वही हाँ हमारे ऊपर
हाल जब भी किसी को सुनाने लगे
वो हक़ीक़त में आते नहीं है मिलनें
ख़्वाब में आकर आज़म सताने लगे
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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