याद उसकी बहुत रोज़ आती रही | Yaad shayari
याद उसकी बहुत रोज़ आती रही
( Yaad uski bahut roj aati rahi : Miss you shayari)
याद उसकी बहुत रोज़ आती रही
जीस्त का साथ यूं ही निभाती रही
और मैं झेलता हर ग़म को ही गया
रंग क़िस्मत अपना ही दिखाती रही
नफ़रतें झेलकर हर किसी की यहां
जिंदगी प्यार अपना लुटाती रही
और मैं दर्द ग़म अपनें लिखता गया
जिंदगी गीत ग़ज़लें ही गाती रही
कब ख़ुशी की आयी रोशनी जीस्त में
चांदनी ग़म की ही झिलमिलाती रही
की ख़ुशी की दुआ आज़म अल्लाह से
गाह क़िस्मत ग़म की ही जलाती रही