याद तेरी जब आती है
याद तेरी जब आती है
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पुलकित हो जाए रोम रोम,
सतरंगी दिखे है मुझको व्योम।
रवि की रश्मियां नहला जातीं,
व्यथित मन भी बहला जातीं।
प्रेम सागर में गोते लगाएं,
कभी डूबें कभी उतराएं।
संगम चाहे व्याकुल मन,
बिन तेरे न लागे मन।
लुटा दूं तुम पर जीवन धन,
महक उठता है कण कण।
जब याद तेरी आती है,
बहार ही छा जाती है।
दुःख दर्द समस्त जाता हूं भूल,
बिन तेरे सब है निर्मूल।
यादों में कहीं खो जाता हूं,
आगोश में तेरे स्वयं को पाता हूं।
अधरो पर छाए मुस्कान,
स्वप्न में ही हो जाए विहान।
मन मयूर हो नाच उठता है,
पग धरा पर न टिकता है।
हृदय विचरण करे आसमान,
तुझ पर ही सदा रहे ध्यान।
याद तेरी जब आती है,
कानों में कुछ कह जाती है।
सांसों को सिहराती है,
जब याद तेरी आती है।
रेशमी जुल्फें लहराती तेरी,
चेहरे पर छाई वो प्यारी हंसी।
जी चाहे बस यही निहारूं,
प्रियतमा प्रियतमा तुझे पुकारूं।
यही मेरे जीवन की थाती है,
मैं दीया और तू बाती है।
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लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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