ज़िन्दगी पराई हो गई
ज़िन्दगी पराई हो गई
बेवफ़ा नहीं थी उससे बेवफ़ाई हो गई
होता ही नही यकीन जग हँसाई हो गई
दे रही थी ज़ख़्म जो अभी तलक यहाँ मुझे
देखिए वो खुद ही ज़ख़्म की दवाई हो गई
होठ मे गुलों की खुशबू और बातों में शहद
दो घड़ी में उससे मेरी आश्नाई हो गई
बढ़ रही थी धड़कने उसी के इंतिज़ार में
और उससे मिलते ही नज़र जुदाई हो गई
जो सजाया था सुमन ने ख्वाब टूट वो गया
दूर उससे हो के ज़िंदगी पराई हो गई
सुमंगला सुमन
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