शिव महिमा

शिव महिमा | Shiv Mahima Par Kavita

शिव महिमा

 ( Shiv Mahima Par Kavita )

 

हिम शिखरों से भोले के, जयकारे आते है,
शंख और डमरू मिलकर, शिव कीर्तन गाते हैं।

 

शिव ही गगन धरा भी शिव ही, हमें बताते है,
गान संग है गीत भी शिव, हम महिमा गाते हैं।

 

पंचतत्व निर्मित शिव से, शिव रूप दिखाते है,
शिव से शव बनने के पथ को, सहज बनाते है।

 

गौरा के पति दर्शन दे कर, भक्ति जगाते हैं,
शिव के रंग में रंगी सृष्टि, विष भी पी जाते हैं।

 

श्रावण मास शिवमयी प्रकृति, भू पर आते हैं,
विष्णुपदी के आंचल में, आकर बस जाते हैं।

 

पावन हृदय प्रेम की बाती,ज्योति जलाते हैं,
अंजुरी भर जल से भंडारी, खुश हो जाते हैं।

?

रचना – सीमा मिश्रा ( शिक्षिका व कवयित्री )
स्वतंत्र लेखिका व स्तंभकार
उ.प्रा. वि.काजीखेड़ा, खजुहा, फतेहपुर

यह भी पढ़ें :-

रिश्तों का सच | Kavita

Similar Posts

3 Comments

  1. सीमा जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद . आपकी यह एक बहुत अच्छी रचना है . मेरे पिता जी भी एक कवि हैं और मैं उनकी रचनाओं को अपने ब्लॉग पर प्रकाशित कर रहा हूँ कृपया आप इन्हें पढ़ कर अपनी राय दें . मैं अपने ब्लॉग का लिंक नीचे दे रहा हूँ . धन्यवाद

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *