मृत्यु का भोज | Mrityu bhoj par kavita
मृत्यु का भोज
( Mrityu ka bhoj )
मानों बात आज नव युवक लोग,
बन्द कर दो यह मृत्यु का भोज।
चला रहें है इसको ये पुराने लोग,
आज तुम सभी पढ़े-लिखे लोग।।
जीवित पिता को एक रोटी नही,
मृत्यु पर जिमाते आप लोग कई।
अपना समय तुम सभी भूल गये,
खिलाते थें तुमको बना मालपुये।।
आज का समय यह है कुछ और,
कल का था वो समय कुछ और।
पहले थी इन खेतों में ढ़ेर कमाई,
आज खेत में कोई न करें बुआई।।
कल थें सभी यहां संगठित लोग,
आज अकेले रहना चाहे ये लोग।
मत करो कर्जा तुम लेकर उधार,
चुका न पाया कोई वापस उधार।।
बंद कर दो आज ये फालतु ख़र्च,
पढ़ाई में लगादो हजारों भी ख़र्च।
यही रखो सभी एक दृढ़ संकल्प,
पढ़ें लिखें बच्चें चाहें आए संकट।।
शादी-सगाई चाहें हो कोई उत्सव,
कम करों ख़र्च दिखावें के उत्सव।
ये एक बात तुम सबको है कहना,
मानों बात आज भाइयों व बहना।।
आदरणीय सादर वन्दे 🇮🇳
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