राइफल हमारी साथी
( Rifle hamari sathi )
यही हमारी एक सच्ची साथी,
दुश्मन का यह संहारक साथी।
हार को जीत यह बना देती है,
हमेशा हमारे संग रहती साथी।।
रायफल नाम दिया है इसको,
रखतें जवान हाथों में इसको।
इसके बिना हम रहते है अधूरे,
और हमारे बिना ये भी अधूरी।।
रात एवं दिन रहते है हम साथ,
बगल में लेकर सोते हम रात।
ख़ुद से ज्यादा प्यार इसे करते,
सफाई का विशेष ध्यान रखते।।
अपने आप यह चलती नही है,
गलती पर यह छोड़ती नही है।
निकली गोली वापस न आती,
हीट हुआ तो फिर ढ़ेर वही है।।
जब तक करेंगें वतन की सेवा,
छोड़ेगें ना इसको हम अकेला।
ऐसे रखते है जैसे हमारा अंग,
दुश्मनों का करती ये विधवंश।।
रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )