चाँद की चाँदनी | Chand ki Chandni
चाँद की चाँदनी
( Chand ki chandni )
चाँद की चाँदनी की नजर देखेंगे,
मेरे दिल में है उतरी जिगर देखेंगे।
थाम कर जो सितारे जमीं को रखे,
उन सितारों का जा के हुनर देखेंगे।
खौफ खाती है मौत देखो मेरे इश्क़ से,
चाँदनी का वो चलके सहर देखेंगे।
जिन्दा उसके बिना रह सकते नहीं,
नूर झरने से पहले घर देखेंगे।
हौसला है भरा बाजुओं में मेरे,
जाके फुर्सत में उसकी कमर देखेंगे।
उसके होंठों से पहरा हटायेंगे हम,
उसके जानिब से उसका असर देखेंगे।
एक मुद्दत से प्यासी हैं नजरें मेरी,
उसके अंदर के दिल का दर देखेंगे।
सिलवटों में पड़े कितने गड्ढे बड़े,
छपे अखबारों की वो खबर देखेंगे।
उठ रही है जवानी वो कोरा बदन,
प्यार में सब है जायज उमर देखेंगे।
कितने आशिक़ गड़ाए हैं देखो नजर,
उसका जलवा ठहर कर उधर देखेंगे।
रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),
मुंबई