आपकी समझ | Aapki Samajh

आपकी समझ

( Aapki samajh )

 

घर से निकलने से पहले
और लौट आने के बाद
देख लिया करो खुद को वक्त के आईने में
जीवन की समझ आसान होगी
कल के रास्ते सुगम होंगे

हर नया रिश्ता और मुलाकात
खुलकर सामने नही आते
मध्यान्ह तक कहानी को समझना ही होता है
दूसरे पटाक्षेप का अंत ही
वास्तविक सत्य होता है

अंतरिक्ष दिखाई तो देता है
किंतु होता नही
हवा दिखाई नहीं देती है
किंतु वो होती है
सत्यता की परख ही
आपकी योग्यता को दर्शाती है

उजाला तो मिलता है
चांद और सूरज दोनो से ही
कौन किससे कितना होता है प्रभावित
यह स्वयं के गुणवत्ता पर ही निर्भर है

आपका वक्त आपके साथ होगा
जब आप वक्त के साथ होंगे
किंतु ,कैसा चाहिए
इसका चयन तो आपको ही करना होगा

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

यह भी पढ़ें :-

किताब | Kitab

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *