त्राहिमाम | Kavita Trahimam
त्राहिमाम
( Trahimam )
प्रकृति विकृति समाया
चलो इसे उबारें
उमस गहन छाया
चलो आंधियां लाएं
सन्नाटा सघन पसरा
चलो चुप्पिया॔ तोड़ें
चित्कारें चरम छूती
चलो चैतन्य पुकारें
प्रचंड प्रलय आया
चलो गीत-मीत गाएं
बेसुध कराहे बसुधा
चले पीयूष पिलायें
मानव बना दुर्वासा
चलो मनुज बनाएं
स्याह सबेरा दिखता
चलो सोनल चमकायें
मन असुरी घिरा
चलो मयूरी नचायें
शेखर कुमार श्रीवास्तव
दरभंगा( बिहार)