कर्म से तू भागता क्यों | Kavita Karm
कर्म से तू भागता क्यों ?
चाय की चुस्कियां ( Chai ki chuskiyan ) चाय की चुस्कियों में तबियत खुश हो गई। चेहरे पे रंगत छाई आंगन में रौनक हो गई। महक उठी महफिल अजीज मिल बैठे यार। कहकहो का दौर लेके आई हंसी की बहार। चाय की चुस्कियों ने मीठी कर दी जुबान को। अदरक ने रुतबे से खुश…
स्वतंत्र है अब हम ( Swatantrata hai ab hum ) पूर्ण स्वतंत्र है अब हम स्वतंत्रता दिवस है आया, हर्ष,उल्लास, देशभक्ति का रंग फिज़ा में छाया। आजाद वतन के वास्ते वीरों ने अपना खून बहाया, तोड़ गुलामी की जंजीरें आज़ाद वतन बनाया। पृथक भाषा, पृथक जात, पृथक बोलते है बोलियां, स्वतंत्र देश को करने…
विद्यार्थी ( Vidyarthi ) तैयारियां करते रहो इम्तिहानों की दौड़ भी तो लंबी है जिंदगी की और है वक्त बहुत कम जिम्मेदारियों का साथ ही बोझ भी तो है… बिके हुए हैं पर्यवेक्षक भी तिसपर , चिट भी है और की जेब मे आपके हालात का मोल नही यहां प्रतिस्पर्धा के इस जंग मे…
रंगोत्सव होली ( Rangotsav Holi ) जोश जुनून उमंग जगाता, तन मन को हर्षाता। रंगों का त्योहार होली, सद्भाव प्रेमरस बरसाता। गाल गुलाबी दमकते, गोरी के गुलाल लगाकर। पीला रंग प्रेम झलकाता, घर में खुशियां लाकर। स्वाभिमान शौर्यता लाता, रक्तवर्ण महावीरों में। तलवारों का जोश उमड़ता, जोशीले रणधीरों में। सुखद अनुभूति…
दिव्य पूर्णिमा ( Divya purnima ) पीयूष पान परम आनंद,जुन्हाई उत्संग में आश्विन मास दिव्य पूर्णिमा, अद्भुत अनुपम विशेष । चारु चंद्र चंचल किरणें, रज रज आह्लाद अधिशेष । शीर्ष कौमुदी व्रत उपासना, विमल भाव अतरंग में । पीयूष पान परम आनंद, जुन्हाई उत्संग में ।। सोम धार धरा समीप, अनूप दिव्य भव्य नजारा…
अंधेरे उजाले ( Andhere ujale ) देखोगे यदि आज की सरलता तो बढ़ जाएगी कल की जटिलता उजाले के लिए दीप जलाने होंगे अंधेरा तो बिन बुलाए का साथी है समझते हो जिन्हें आप अपना तुम उन्हें भी इंतजार है आपकी सफलता का दुनिया एक बाजार है मेरे बड़े भाई यहां मुफ्त में कभी…