छठ पूजा

छठ पूजा | Chhath puja poem

छठ पूजा

( Chhath puja ) 

ऐसे मनाएं छठ पूजा इस बार,
हो जाए कोरोना की हार।
सामूहिक अर्घ्य देने से बचें,
कोरोना संक्रमण से सुरक्षित हम रहें।
किसी के बहकावे में न आएं-
अपने ही छत आंगन या पड़ोस के
आहर तालाब में करें अर्घ्य दान
सूर्योपासना का पर्व यह महान
मिले मनोवांछित संतान
चार दिवसीय है यह अनुष्ठान
नहाय खाय, खरना ,प्रथम व द्वितीय अर्घ्य
तब जाकर पूरा होता यह पर्व
सामाजिक समरसता का देता संदेश
विस्तार इसका हो रहा देश विदेश
एक ही घाट खड़े होते राजा और रंक
देख दुनिया हो रही दंग
नहीं रह जाता किसी में कोई दंभ
ना कोई छोटा न कोई बड़ा
लिए लोटा में जल सब एक पंक्ति में खड़ा
डूबते उगते भगवान भास्कर को करते सब नमन
सिर पर दऊरा रख वापस लौटते हम
ठेकुआ नारियल मौसमी फल का चढ़ाते प्रसाद
मिल-बांट कर खाते और खिलाते आज
छठी मैय्या की कृपा सब पर होय
भूखे पेट न कोई सोय
नि: संतान छुप छुप न रोए
जब आदित्य का मिले आशीष
घर घर में जन्म लेते जगदीश
जय छठी मैय्या जय छठी मैय्या
पार लगाओ अब हमरी भी नैय्या।

नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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