दुश्मनी अपनी भी तो पुरानी नहीं

दुश्मनी अपनी भी तो पुरानी नहीं

दुश्मनी अपनी भी तो पुरानी नहीं

दुश्मनी अपनी भी तो पुरानी नहीं
बात ये और की उसने मानी नहीं

मत कहो प्रेम की अब कहानी नहीं
सेतु वो प्रेम की क्या निशानी नहीं

इश्क़ में चोट अब मुझको खानी नहीं
रात करवट में सारी बितानी नहीं

जिस तरह बाप से बात करते हैं वे
यूँ समझ आँख में आज पानी नहीं

आँख हम क्या लडाये यहां आपसे
जब बची अपनी यारा जवानी नहीं

सो कहाँ पाये वो भी प्रखर चैन से
जिनकी बेटी भी कोई सयानी नहीं

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

यह भी पढ़ें:-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *