Hindi Kavita | Hindi Poem | Hindi Poetry -बंटवारा
बंटवारा
( Batwara )
नही नफरत की बातें हो,चलों हम प्यार करते है।
भुला के सारे शिकवे गम, मोहब्बत आज करते है।
नही कुछ मिलने वाला है, तिजारत से यहाँ हमकों,
इसी से कह रहा हूँ मैं, चलों दिल साफ करते है।
जो बो दोगे धरा पर, बाद में तुम वो ही पाओगे।
दिलों में प्यार बाँटोगे, तभी तो प्यार पाओगे।
ना खीचों सरहदों कों, दिल मे या धरती पे तुम प्यारे,
उगाओ नागफनी के वृक्ष तो, काँटे ही पाओगे।
जलता तमतमा सा सूर्य भी, रातों को ढल जाता।
चले जब मेघ बादल बन,सुलगता भानु बुझ जाता।
बताओ नफरतों का दौर, आखिर तुमको क्या देगा,
हिकारत शब्द बन करके, दिलों मे गाँठ कर जाता।
मोहब्बत ना हुआ तो ना सही, इल्जाम पर कैसा।
तू अपने रास्ते को जा, नही मै हूँ तेरे जैसा।
मै अपनी जिन्दगी जी लूँगा, तू अपनी बीता लेना।
मोहब्बत ना सही पर, जिन्दगी जी ले यहाँ ऐसा।
सहोदर सा है मन मेरा, मगर अब बाँट दो मुझको।
नही मन बाँध पाए हम तो, कुछ तो राख दो मुझको।
घरों में खींच दो दीवार पर, मन ना बँटे अपना,
कि मै तुमको कहू अपना, यही हुंकार तुम मुझको।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )