जगाने कौन आया है | Geet
जगाने कौन आया है
( Jagane kaun aaya hai )
भरी बरसात में मुझको जगाने कौन आया है,
अंधेरी रात में दीपक जलाने कौन आया है।
ये कैसा कहर कुदरत का ये कैसा शहर मुर्दों का,
खुशियों से कहीं ज्यादा लगे प्रभाव दर्दों का।
जगाओ चेतना अब तो बढ़ चलो आमरण सब तो,
निराशा के भंवर से आओ आशाएं रखनी हम सबको।
उर के भाव में हलचल मचाने कौन आया है,
मधुर गीतों की लड़ियां सजाने कौन आया है।
ना अब तो उबड़ खाबड़ है ना टूटी सड़कें है कोई,
धनपतियों का जमाना है ना सरकारें है सोई।
दिल के टूटे तारों को बजाने कौन आया है,
अफसाना कोई प्यारा सुनाने कौन आया है।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )