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प्रसन्नता का कारण

( Prasannata ka karan : Vyang )

प्रधानमंत्री एक विदेश से वापिस आये थे और दूसरे विदेश जाने की तैयारी में थे । इसी बीच उन्होने मंत्री मंडल की कक्षा ले ली ।

इस मंत्री मंडल में अपनी पार्टी और परायी पार्टी के मंत्री कुत्तों समेत शामिल थे इन कक्षाओं से मंत्री की प्रतिबद्धता और उनके पालतू कुत्तों की संख्या भी मालूम हो जाती थी । जितने पालतू कुत्ते एक मंन्त्री के पास उतनी ही ताकत !

इस बार मुस्कुराते हुए प्रधानमंत्री के पास एक ग्राफ था जिसके ऊपर एक जूता रखा हुआ था। उन्होने मंित्रंयों से उसका मतलब पूछा । खेल मंत्री फिर बीच में उचके। उन्होने कहा “यह ग्राफ, हाकी का बढ़ता हुआ ग्राफ है जिसको लेकर नौकर शाही के जूते ने रोक दिया है,”

“आप आंशिक रूप से सही है मगर इससे देश को क्या लाभ ?” प्रधानंमंत्री जी ने मुस्कुरा कर पूछा क्रिकेट मंत्री ने जवाब दिया इससे देश को लाभ ही लाभ है अब हाकी ओलम्पिक में प्रतिनिधित्व नहीं कर पायेगी जिससे हम ओलम्पिक में हाकी में नही हार पायेंगे और देश का गौरव बढेगा ।

हमें ओलम्पिक में हाकी की टीम नही भेजना पड़ेगी जिससे विदेशी मुद्रा बचेगी । वे अच्छे खिलाड़ी जिनको हम नहीं निकाल पा रहे थे अब निकाले जा सकेंगें………………..”

“और अपने भाई भतीजो को टीम में घुसा देंगें।” प्रधानमंत्री ने टोका“ और अब तुम बोलो फसल मंत्री ! सर, अगर हम फसलों के उम्पादन को नौकरशाही से रोकते है तो विदेशो से लाल गेहॅू आयत कर सकते है।” गेहॅू चावल मंत्री बोले ।

प्रधानमंत्री जी बोले “ आप आंशिक रूप से सही है इससे हम देश वासियों को विदेशी चीजक खाने के लिए उपलब्ध करा सकते है। इससे विदेश भी खुश होगा, हम भी खुश होंगें और विरोधी पार्टी भी खुश होगी कि उन्हें विरोध करने के बहाने प्रशीतक रथ में रथ यात्रा करने को मिलेगा ।

हम रथ यात्रा रोकेंगें। इस समर्थन और विरोध में गेहॅू का मुद्दा पीछे रह जायेगा तुम्हारा क्या ख्याल है।” कारखाना मंत्री ?

उद्योग मंत्री किसी विदेश में थे अतः उसी विदेश से बोले “हमारे पास उद्योग जरा ज्यादा की प्रगति कर रहे है उन्हे दबाना जरूरी है” वे हमारे नौकरशाही रूपी जूते से ही दब सकते है वे प्र्रगति करके हमें चलाने लगे थे “इससे देश को क्या लाभ है ?

” प्रधानमंत्री ने मुस्कुरा के पूछा ! उद्योगमंत्री भी मुस्कुरा कर बोले “क्या करना है हमें देश के लाभ से ? जनता को मत देना होता है जो उन्होने दिया इससे बड़ी देश सेवा क्या होगी कि हमारी सरकार पाॅंच साल बगैर गिरे चल गई। देश भी खुश है कि उसे जंगलो से, पहाड़ो से और खेतो से बार बार मत देने नही आना पड़ता।”

“ शायद आप सही कह रहे है“ प्रधानमंत्री बोले । बुजुर्ग मानव संसाधन मंत्री के विचार भी ले लेने चाहिए। “ बेरोजगार मंत्री जो प्रधानमंत्री नही बनना चाहते थे पर प्रधानमंत्री बनाते थे बोले “हमारे पास विशाल जनसमुह है उसे हम यदि ताकत और काम दे देंगें तो हमारे नौकरशाह यानि कि हमारा जूता कमजोर पड़ जायेगा।

उस फटे जूते को पहनकर हम हमारे देश की उबड़ खाबड़ जमीन पर कैसे चल पायेगें। अत: रोजगार के अवसर कम करना ही पडेगें और जूता मजबूत बनाना ही पड़ेगा। “ये भी सही है प्रधानमंत्री बोले” ! तुम्हारा क्या ख्याल है सांस्कृतिक मंत्री।”

नाच गाना मंत्री ने जवाब दिया “हालांॅकि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है पर जो जूता कहे वही संस्कृति। इस ग्राफ में पनहिये” नहीं है एडीडास का जूता है अतः यह ग्राफ हमारे विभाग का प्रतिनिधित्व नही करता और यह कि हमारे विभाग का बजट बढाया जाना चाहिए सर।

“सोचेगें । “प्रधानमंत्री मुस्कुराये” रक्षा मंत्री जी आपका क्या विचार है इस ग्राफ पर ? “यदि आप विदेशी जूते पहनते है तभी 10 जनपथ में घुस सकते है रक्षा मंत्री बोले “और कुछ” प्रधानमंत्री ने पूछा” यह ग्राफ उल्टा है जूता नीचे है और उसमें से प्रगति निकल रही है “सीमा मंत्री बोले अगर हम पड़ोसीयों को जूते के नीचे रखेंगें तभी प्रगति कर पायेगें अन्यथा वे हमें जूतो के नीचे मसल देंगें।

कर मंत्री बोले “हम हर संभव उपयोगी वस्तु पर कर लगा चुके है 60 साल में कोई वस्तु कर से नहीं बची अब कर हाथ मिलाने और नमस्ते करने पर भी कर लगा देना चाहिए। केवल गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले ही बगैर कर दिये नमस्ते कर सकेंगें।”

“आप कुछ सुनाये” रेल मंत्री तो अपवाद है। रेल मंत्री खुश होकर बोले “हमने तो रेल गाड़ी पटरी पर ला दी है यह ग्राफ तो आड़ा होना चाहिए । जूता यानि इन्जन यानि प्रशासन आगे रहेगा तो देश पीछे पीछे आगे बढ़ेगा। जूते को तो आगे बढ़ना ही पड़ेगा।”

उस ग्राफ पर बहुत कसरत हो गई थी अब वजीरे आजम बोले “हर शब्द का मतलब देखने वाले की समझ में रहता है यह ग्राफ देश पर चड़ता हुआ ब्याज है। पिछले वर्ष यह 30 हजार करोड़ था जो इस साल बढ़कर 60 हजार करोड़ हो गया। यही मेरी प्रसन्नता का कारण है ।”

“इसमें प्रसन्नता का क्या कारण है ? सब एक साथ बोले ।

“इसी साल इलेक्शन है । उन्होने हॅसकर जवाब दिया जो सरकार हमको हराकर बनेगी यह जूता उनके सिर पर पड़ेगा। वे इस बढ़े हुए ब्याज से दबे रहेगें और हम हॅसते रहेगें।”

 

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लेखक : : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव

171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

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