आग

आग | Aag par kavita

 आग 

( Aag )

 

जीवन में आग का महत्व……||

1.एक दम पवित्र एक दम तेज, देवों मे भी एक है |
खुद मे हर चीज मिलाती, काम भी उसके नेक है |
सुख-दुख मे काम आती, रोशनी उज्वलित होती है |
अपनी छाप छोड़ती जब, अग्नी प्रज्वलित होती है |

जीवन में आग का महत्व……||

2.सात फेरे अग्नी के साथ, अग्नी के समक्ष होते हैं |
अग्नी को साक्षी मान, बन्धन के सात वचन होते हैं |
हवन अग्नी मे-फेरे अग्नी के, अग्नी से दीप जलते हैं |
अग्नी से ही पकता भोजन, सब लोगों के पेट भरते हैं |

जीवन में आग का महत्व……||

3.अगर लगाते जान-बूझ कर, बस्तियां जल जाती हैं |
कहीं पर जलतीं बहू-बेटियां, तडप-तडप मर जाती हैं |
कहीं फैक्ट्रियां ध-ूधू कर जलतीं, गलतियां हो जाती हैं |
अनेकों जलकर खाक हो जाते, हंस्तियां मिट जाती हैं |

जीवन में आग का महत्व……||

4.चिता जलाती बदन फूँकती, अस्त्वित भी मिटाती है |
पार्थिव तन को मुक्ती देती, खुद अपने संग जलाती है |
जंगलों मे लग जाती तो, सब तहस-नहस हो जाता है |
“हैं” छोड कर “थे” रह जाते, जो अग्नी से टकरता है |

जीवन में आग का महत्व……||

 

कवि :  सुदीश भारतवासी

 

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