आओ एक बेहतर कल बनाएं

आओ एक बेहतर कल बनाएं | Prerna Kavita In Hindi

आओ एक बेहतर कल बनाएं ( Aao ek behtar kal banaye ) समय निकला जा रहा है पल पल, आओ बनाएं एक बेहतर कल । जो हैं दीन हीन, जिनकी खुशियां गई हैं छीन। उनके यहां चलें, ज़माने ने हैं जिन्हें चले। बांटें दर्द कुछ छांटें अंधियारा, रौशन कर दें उनका घर गलियारा। चेहरे पर…

ए खुदा भेज दें जिंदगी में कोई!

ए खुदा भेज दें जिंदगी में कोई | Hindi shayari alone

ए खुदा भेज दें जिंदगी में कोई! ( Aye khuda bhej de zindagi mein koi )    ए खुदा भेज दें जिंदगी में कोई! प्यार की हो अब शामिल ख़ुशी में कोई   प्यास दिल की बुझा दे कोई आकर रहता जो प्यार की तिश्नगी में कोई   इसलिए दिल उदासी भरा है मेरा दे…

चीर को तुम

चीर को तुम | Cheer ko tum

” चीर को तुम “ ( Cheer ko tum )   समझ पाते अविरल चक्षु नीर को तुम। कब तक खींचोगे हमारे चीर को तुम।।   बहुत कुछ खोया तब पाया है तुम्हे, भूखी रहकर भी खिलाया  है तुम्हे।    आज मैं हर मोड़ पे मरने लगी हूं, मेरे उदरज तुमसे ही डरने लगी हूं।…

थी अधुरी प्यार की दिल में रवानी देखिए

थी अधुरी प्यार की दिल में रवानी देखिए | Adhuri pyar ki shayari

थी अधुरी प्यार की दिल में रवानी देखिए ( Thi Adhuri Pyar Ki Dil Mein Ravani Dekhiye )     थी अधुरी प्यार की दिल में रवानी देखिए वो किताबों में लिख डाली है कहानी देखिए   दर्द ग़म का जो दिया उसने मुझे रुसवा किया प्यार की इक दिन उसको क़ीमत चुकानी देखिए  …

बेबाक रघुवंश बाबू!

बेबाक रघुवंश बाबू | Raghuvansh Babu Par Kavita

बेबाक रघुवंश बाबू! ( Bebaak Raghuvansh Babu )    पंचतत्व में विलीन हुए रघुवंश बाबू, राजनीति में चलता था उनका जादू। बेबाक थे ,बेबाक रहे, जो जी में आया वही कहे। अपने देसी अंदाज के लिए जाने जाते थे, ठेठ भाषा और बोली से आकर्षित करते थे। समाजवाद के बड़े पैरोकार रहे, पांच पांच बार…

मुरझायेगे गुल किसे पता था 

मुरझायेगे गुल किसे पता था | Love Ghazal in Hindi Font

मुरझायेगे गुल किसे पता था  ( Murjhayenge gul kise pata hai )   मुरझायेगे गुल किसे पता था तूफान ऐसा यहाँ चला  था   यकीन पे दोस्ती करी उससे करेगा धोखा किसे पता था   वफ़ा जिसे दी मुहब्बत में ही दग़ा उसने प्यार में करा था   जिसे सदा दी वफ़ा बहुत ही वफ़ा…

हिंदी भाषा को व्यावहारिक बनाना जरूरी है

हिंदी भाषा को व्यावहारिक बनाना जरूरी है

हिंदी भाषा को व्यावहारिक बनाना जरूरी है ( It is necessary to make Hindi language practical )    हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए एक राष्ट्र भाषा प्रचार समिति का गठन आजादी के बाद किया गया था। वर्धा ने सबसे पहले 1953 तत्कालीन केंद्र…

ख्वाब और हकीकत

ख्वाब और हकीकत | Poem khwab aur haqeeqat

ख्वाब और हकीकत ( Khwab aur haqeeqat )   अब ख्वाबों में नहीं  हकीकत जीता हूं यारों,        ख्वाब सूर्य पकड़ा        हकीकत जुगनू…. ख्वाब समुद्र में डुबकी लगाया हकीकत तालाब …..         अब ख्वाबों में नहीं         हकीकत जीता हूं यारों, ख्वाब  ईश्वर, पवन…

हाय री सरकार !

हाय री सरकार | Hi Ri Sarkar

हाय री सरकार ( Hi Ri Sarkar )    सड़क पर  निकल पड़ी है  नौजवानों की एक भीड़ बेतहासा बन्द मुठ्ठी, इन्कलाब जिन्दाबाद  के नारों के साथ.  सामने खड़ी है एक फौज मुकम्मल चौराहे पर  हाथ में लिए लाठी – डन्डे, आँसू गोले और  गोलियों से भरी बन्दूकें  चलाने के लिए मुरझाये चेहरे वाले  नौजवानों…

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी को स्वीकार करना वक्त की जरूरत है

बदलते समय के साथ बदलती हुई हिंदी  ( Badalte samay ke sath badalti hui Hindi )    हिंदी दिवस आते आते हिंदी भाषा की चर्चा जोर पकड़ लेती है। हर तरफ हिंदी भाषा की चर्चा शुरू हो जाती है। सरकारी कार्यालयों, स्कूल कॉलेजों में हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए…